सपनों का टूट जाना क्या होता है वो कोई घाना के खिलाड़ियों से पूछ सकता है, बदलते इतिहास के मुहाने से वापस चले आना क्या होता है वो कोई अफ्रीका की अगुआई करने वाले खिलाड़ियों से समझ सकता है। रंगभेद के खिलाफ जंग लड़ते लड़ते इस मुकाम से खाली हाथ लौट आने का दर्द क्या होता है वो कोई आंसुओं में डूबे हुए अफ्रीकी महादेश के खिलाड़ियों से पूछ सकता है।
शुक्रवार रात दूसरे क्वार्टर फाइनल में घाना की टीम उरुग्वे से हार गई लेकिन ये हार सिर्फ एक टीम की हार नहीं है बल्कि पूरे अफ्रीका की हार है। उन भावनाओं की हार है जिन्होंने 70 साल में पहली बार फुटबॉल वर्ल्ड के सेमीफाइनल में पहुंचने का सपना देखा था। उन अश्वेत खिलाड़ियों की हार है जिन्होंने अपने दमखम से ये साबित करने की कोशिश की वो भी किसी भी मुकाबले में किसी को भी चुनौती देने का दमखम रखते हैं। उरुग्वे के खिलाफ घाना के खिलाड़ियों में कहीं कोई कमी नहीं दिखी। कमी थी तो बस इतनी कि वो अपनी कोशिशों को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाए।
अफ्रीका की एकमात्र टीम घाना सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाई। बस फिर क्या था घाना के खिलाड़ियों की आंखों से आंसुओं का सैलाब निकल पड़ा। घाना के खिलाड़ी ज्ञान को ये समझ में नहीं आया कि आखिर चूक कहां हुई।
मैच अतिरिक्त समय के बाद भी 1-1 की बराबरी पर छूटा। इस दौरान गोल में तब्दील करने के एक मौके को घाना के खिलाड़ी चूके जरूर लेकिन जीत के लिए इनके मन में इतनी ललक पैदा हो चुकी थी कि स्ट्रेचर से उठकर घायल ज्ञान खेलने के लिए वापस मैदान पर लौट आए जब पेनल्टी शूट आउट में घाना के खिलाफ हर बार गोल दागे जा रहे थे तो इसी के साथ अफ्रीका के सपने तार-तार हो रहे थे जब शूट आउट के जरिये उरुग्वे की जीत तय हो गई तो इसी के साथ पूरे स्टेडियम में मायूसी छा गई। हालत ये हो गई कि स्ट्रेचर से उठकर मैदान पर लौटने वाला ज्ञान किसी के संभाले नहीं संभल रहा था। कभी वो आसमान की ओर टकटकी लगाए देखता तो कभी अपने जिस्म को खुरच देने की कोशिश करता, कभी टी शर्ट से अपने चेहरे को छुपाने की कोशिश करता तो कभी जमीन पर गिरे पड़े रहने की कोशिश लेकिन हकीकत को टाला नहीं जा सकता।
कम से कम इस कोशिश से घाना की टीम ने ये तो जता दिया कि फुटबॉल के मैदान पर वो किसी भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करेंगे और वो दिन भी दूर नहीं जब पहली बार अफ्रीका की कोई टीम सेमीफाइनल में पहुंचेगी। बल्कि ये जज्बा बरकरार रहा तो इसके खिलाड़ी इस कप को चूमते हुए भी नजर आएंगे।
रविवार, 4 जुलाई 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)