शनिवार, 29 मार्च 2014










श्री नरेंद्र मोदी पर ये पहली किताब है जिसकी प्रस्तावना खुद भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी जी ने लिखी है।
श्री नरेंद्र मोदी लेखक हरीश बर्णवाल के लिए लिखते हैंमुझे विश्वास है कि हरीश बर्णवाल जी की पुस्तक मोदी मंत्र लोगों को प्रोत्साहित करेगी। किताब प्रगतिशीलता और संपूर्ण स्वतंत्रता की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी। लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में उज्जवल भविष्य के लिए हरीश जी को शुभकामनाएं।
बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं का मत है कि जो भी श्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहता है, उसे ये किताब जरूर पढ़नी चाहिए। साथ ही इसका प्रसार करना चाहिए। इस किताब के जरिये आप नरेंद्र मोदी के बारे में कई ऐसी बातें जानेंगे जो अब तक आपने न सुनी हो।
किताब खरीदने के तरीके
1.     आप सीधे S B CREATIVE MEDIA के अकाउंट में पैसे जमा कर दें। साथ ही इसकी जानकारी ईमेल या एसएमएस के जरिए दें। बैंक डीटेल हैं।
BANK – AXIS BANK LTD
ACCOUNT NAME – S B CREATIVE MEDIA
ACCOUNT NUMBER – 914020005326156
BRANCH – MUKHERJEE NAGAR, NEW DELHI – 110009
पैसे जमा करने की जानकारी hcburnwal@gmail.com पर दें
या फिर 09540174521 नंबर पर  SMS करें BOOK MODI MANTRA

2.     आप चेक के जरिये भी भुगतान कर सकते हैं। चेक इस पते पर भेजें।
SUSMITA BURNWAL
S B CREATIVE MEDIA
C-1/101, EASTERN HEIGHTS, NYAY KHAND -3,
NEAR - JVM PUBLIC SCHOOL
INDIRAPURAM, GHAZIABAD, UP
201010

3.     आप इंटरनेट बैंकिंग के जरिये भी पैसे का भुगतान कर सकते हैं।
       BANK DETAILS
     BANK – AXIS BANK LTD
           ACCOUNT NAME – S B CREATIVE MEDIA
           ACCOUNT NUMBER – 914020005326156
           BRANCH – MUKHERJEE NAGAR, NEW DELHI – 110009
           IFS CODE – UTIB0001838

4.     आप दिल्ली के सुरूचि प्रकाशन से ये किताब खरीद सकते हैं।
सुरुचि प्रकाशन, झंडावाला, नई दिल्ली-110055
011-23514672

5.     अगर कोई इस किताब की डीलरशिप या विक्रेता बनना चाहता है तो कृप्या संपर्क करें। hcburnwal@gmail.com पर मेल करें, या फिर 09540174521 पर फोन करें।
किताब का मूल्य
·        पेपरबैक किताब का मूल्य 200 रुपये और हार्डबाउंड किताब की कीमत 300 रुपये है। एक से नौ किताब तक खरीदने पर कोई डिस्काउंट नहीं मिलेगा। इसके अलावा दिल्ली एनसीआर में कूरियर चार्ज प्रति किताब 35 रुपये लगेंगे। जबकि बाहर के राज्यों के लिए 50 रुपये प्रति किताब कूरियर चार्ज लगेगा।
·        10 से अधिक किताब खरीदने पर कूरियर चार्ज नहीं लगेगा। 10 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा।
·        50 से अधिक किताब खरीदने पर 20 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा।
·        100 से अधिक किताब खरीदने पर 30 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा।
·        500 से अधिक किताब खरीदने पर 40 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा।
·        1,000 से अधिक किताब खरीदने पर 50 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा।
·        10,000 से अधिक किताब खरीदने पर 60 फीसदी का डिस्काउंट मिलेगा।

अन्य नेताओं के विचार

मुख्तार अब्बास नकवी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, बीजेपी – अगर कोई मोदी को सच्चे अर्थों में समझना चाहता है, अगर किसी के मन में कोई संदेह है कि क्यों वो इस समय देश की जरूरत हैं तो उन्हें हरीश चन्द्र बर्णवाल की किताब मोदी मंत्र को जरूर पढ़ना चाहिए।
सुशील मोदी, पूर्व उप मुख्यमंत्री, बिहार – हरीश चन्द्र बर्णवाल की किताब मोदी मंत्र नरेंद्र मोदी पर लिखी गई मौलिक और प्रमाणिक किताब है। ये किताब उन लोगों की आंखें खोल देने के लिए काफी है जो बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के खिलाफ अनर्गल आरोप लगाते हैं।

डॉक्टर विजय सोनकर शास्त्री, राष्ट्रीय प्रवक्ता, बीजेपी – बर्णवाल जी को मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं और समय समय पर चर्चा होती रहती है। उनकी लिखने और सोचने की अदम्य क्षमता ने इस पुस्तक को एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक बना दिया है।

चंदन मित्रा, संपादक, PIONEER  – हरीश चन्द्र बर्णवाल ने नरेंद्र मोदी के विचार, भाव और उनके विजन को लोगों तक पहुंचाने का एक महत्त्वपूर्ण काम किया है, जो इस समय भारत के राजनीतिक क्षितिज में मशहूर शख्सियत बन चुके हैं।

अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड – माननीय नरेंद्र मोदी जी के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं समग्र विकास की अवधारणा को जन-जन तक पहुंचाने में युवा पत्रकार-लेखक श्री हरीश चन्द्र बर्णवाल की पुस्तक मोदी मंत्र सार्थक सिद्ध होगी, ऐसा प्रतीत होता है।

प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश – मोदी किताब में आपको जीवन के हर क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर मोदी जी का दर्शन और नीतियां पढ़ने को मिलेंगी। लेखक हरीश बर्णवाल को इस किताब के लिए बधाई और साधुवाद।

कल्याण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश – आपकी पुस्तक मोदी के लिए आपको ढेरों शुभकामनाएं। मुझे विश्वास है कि आपकी पुस्तक श्री नरेंद्र मोदी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को जन जन तक पहुंचाएगी।

राम बहादुर राय, संपादक, यथावत – नरेंद्र मोदी पर कई जीवनियां अंग्रेजी में आई हैं। उन पर केंद्रित हिंदी में दो पुस्तकें आई हैं। हरीश चन्द्र बर्णवाल की यह पुस्तक इस मामये में सबसे अलग और अनोखी है क्योंकि इसे पढ़कर जिस नरेंद्र मोदी से पाठक परिचित होता है, वह थोड़ी देर के लिए विस्मित होता है और फिर बहुत देर के लिए आश्चर्यचकित। वह सोचने लगता है कि काश, इन बातों को मैं पहले ही जान पाता। यही इस पुस्तक की विशेषता है।



नरेंद्र मोदी काम कब करते हैं?



                  

भारतीय जनता पार्टी ने जिस दिन से नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है, उसी दिन से वो हर विपक्षी पार्टी के निशाने पर हैं। पहले सवाल उनके गुजरात मॉडल को लेकर उठाए जाते थे। लेकिन बाद में उन पर ये सवाल उठाए जाने लगे कि अगर वो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं तो फिर गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे देते। आरोप लगाए जाने लगे कि गुजरात में काम करने की बजाए वो सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति में ही अपना ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं। ऐसे में गुजरात को देखने वाला कोई नहीं। लेकिन हकीकत इससे परे है।
                              नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल पर आधारित किताब मोदी मंत्र लिखने के दौरान मैंने उनके कई करीबियों से बातचीत की। उनको समझने की कोशिश की। ये जानने की कोशिश की कि आखिर नरेंद्र मोदी कैसे इतना सब कुछ मैनेज करते हैं। कैसे वो गुजरात के छोटे से छोटे काम को देखने के अलावा बीजेपी को मैनेज करते हैं। राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ने की रणनीति कैसे बना पाते हैं। नरेंद्र मोदी के बारे में समझने से पहले कुछ चीजें उनके बारे में जान लेना बहुत जरूरी है। मोदी का हर काम उनके द्वारा तय किया होता है। वो सुनते सबकी हैं, लेकिन करते वही हैं, जो उन्होंने तय किया है और जो उन्हें ठीक लगता है। मोदी जी ने अगर किसी काम को करने की ठान ली है तो फिर समय, परिश्रम या फिर पैसे के वो मोहताज नहीं होते। मोदी को अगले दिन क्या काम करना है, इसके बारे में वो रात में ही तय कर लेते हैं। बाकी राजनीतिज्ञों की तरह उनका काम सिर्फ सचिवों के भरोसे नहीं चलता, बल्कि वो सक्रिय रूप से अपने निजी सचिवों, अधिकारियों को काम के बारे में बताते रहते हैं।
                            नरेंद्र मोदी की दिनचर्चा शुरू होती है सुबह 5 बजे से। रात में सोने में भले ही उन्हें 1-2 बज जाएं, लेकिन सुबह 5 बजे हर हाल में वो उठ जाते हैं।       इसके बाद नित्यकर्म को निपटाने के बाद वो इंटरनेट पर न्यूज फड़ते हैं। लगभग सारे नेशनल और इंटरनेशनल न्यूज पेपर पर एक नजर डाल लेते हैं। इससे उन्हें देश-दुनिया के घटनाक्रम की पूरी जानकारी मिल जाती है। करीबियों की मानें तो इस दौरान मोदी कोई नोट तैयार नहीं करते। उनके दिमाग में ही नोटिंग होती रहती है। सुबह करीब 6-6.30 बजे वो एक घंटे के लिए योग करते हैं। उन्होंने अपने लिए योग के कई तरीके चुन रखे हैं। सुबह 7-7.30 बजे के करीब मोदी हल्का नाश्ता लेते हैं। इसके बाद इनका डेली रूटिन शुरू हो जाता है। सामान्य तौर पर बात करें तो इनका दिन गुजरात के सरकारी कामकाज के अलावा हर वक्त एक मिशन के साथ ही गुजरता है। मसलन अगर गरीब कल्याण मेला शुरू किया तो कई महीने तक इस मिशन को पूरा करने का अभियान चलाते हैं। इसमें खुद शामिल होते हैं। या फिर लड़कियों की शिक्षा पर अभियान चला रहे हैं तो जब तक अपने मिशन को पूरा नहीं कर लेते, तब तक ये अभियान चलता रहता है। पर मौजूदा समय की बात करें तो इनका ज्यादातर दिन का वक्त रैलियों, बैठक या फिर रणनीति बनाने में निकलता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गुजरात के लिए मोदी कब वक्त निकालते हैं।
                    दरअसल नरेंद्र मोदी ने गुजरात के लिए रात का वक्त तय कर रखा है। इनका दिन का वक्त देश के जिस हिस्से में बीत जाए, लेकिन रात वो अक्सर गांधीनगर में ही गुजारना पसंद करते हैं। मोदी की साफ कोशिश है कि गुजरात के कामकाज पर उनकी हर दिन नजर रहे। विकास की योजनाएं हों या फिर प्रशासनिक काम। मोदी की दिलचस्पी कभी कम नहीं होती। शायद इसीलिए रात 8-9 बजे के बाद का वक्त उन्होंने गुजरात के अधिकारियों औऱ लोगों के लिए रख छोड़ा है। खास बात ये है कि नरेंद्र मोदी के सारे अधिकारी रात में एक्टिव रहते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि मोदी रात में ही अपने सारे काम निपटाते हैं। फाइलों पर हस्ताक्षर करनी हो या फिर योजनाएं तैयार करनी हों। अपने अधिकारियों की बात सुननी हो या फिर आम लोगों से जुड़े कोई मसला हल करना हो। सारा काम उनके आवास में देर रात तक चलता रहता है। खास बात ये है कि हर मसले को वो खुद से देखते हैं और परखते हैं। मोदी की कोशिश होती है कि रात 11-12 बजे तक वो सो जाएं, लेकिन अगर काम खत्म न हो तो ये काम रात 12-1 बजे तक चलता रहता है। कभी भी वो काम अधूरा छोड़कर सोने नहीं चले जाते हैं। रात में वो कितना भी जगे रहें, लेकिन वो सुबह 5 बजे ही उठते हैं। वो कितनी भी कम नींद लें, लेकिन आपको नरेंद्र मोदी हमेशा फ्रेश नजर आएंगे। कभी भी आप उनके चेहरे पर थकान या तनाव नहीं देख सकते।
                       गुजरात के काम में अपने आप को झोंक देने वाले नरेंद्र मोदी की अपनी टीम पर भी पूरी नजर होती है। नरेंद्र मोदी को पता है कि अगर उनकी टीम संवेदनशील नहीं होगी तो वो अपने काम को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाएंगे। मसलन जिस भी अधिकारी या कर्मचारी की उनकी टीम में बहाली होती है, उन्हें बकायदा ये समझाया जाता है कि कैसे देश के विकास के लिए उन्हें दिन-रात काम में शामिल होना पड़ सकता है। कभी भी उन्हें किसी खास काम के लिए बुलाया जा सकता है। बकायदा ऐसे अधिकारियों से इसके बारे में पूछा जाता है। यही नहीं ये अधिकारी-कर्मचारी अपने परिवार के साथ भी विमर्श करते हैं। अगर किसी को 24 घंटे के इस कामकाज से परेशानी होती है तो उन्हें फिर जबरन टीम में शामिल नहीं किया जाता।
                 गुजरात सरकार से जुड़े अधिकारियों की मानें तो नरेंद्र मोदी के मन में जब जो विचार आता है, फिर वो उसके कार्यान्वयन में जुट जाते हैं। वो इस बात का इंतजार नहीं करते हैं कि उस समय क्या बज रहा है। करीबियों की मानें तो अधिकारियों के पास अक्सर रात के 1-2 बजे तक भी फोन आते हैं। जिसमें न सिर्फ मोदी अपने मन में आई किसी खास योजना को बताते हैं, बल्कि उसकी रणनीति बनाने की बात भी बताते हैं। नरेंद्र मोदी की एक खास बात ये है कि इतनी व्यस्तता के बावजूद वो कभी आम आदमी को नजरअंदाज नहीं करते। अगर कोई गरीब से गरीब आदमी भी तकलीफ में है और मुख्यमंत्री कार्यालय में पहुंचा है, तो उनके अधिकारी इस बात को उन तक जरूर पहुंचाते हैं। मोदी खुद इसका इलाज ढूंढ़ते हैं और मदद की कोशिश करते हैं। यहां मोदी की एक तारीफ करनी होगी कि वो किसी भी इंसान के मन की बात भी जान लेते हैं। कई लोगों ने मुझे बातचीत के दौरान बताया कि नरेंद्र मोदी ने चंद मिनट की बातचीत में ही सच और झूठ का आकलन कर उनके सामने रख दिया, मजबूर लोगों की मदद की। गलत बोलने वाले को भी कभी दुत्कारा नहीं, बल्कि सही रास्ते पर चलने की नसीहत दी।

 लेखक मोदी मंत्र किताब के लेखक और वरिष्ठ टीवी पत्रकार हैं। इनसे इनके ईमेल hcburnwal@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

रविवार, 9 मार्च 2014

अरविंद केजरीवाल से 16 सवाल

                   अरविंद केजरीवाल से 16 सवाल

अरविंद केजरीवाल जी आपको खत लिखने की इच्छा नहीं थी, लेकिन जिस तरीके के लेख मुझे आपके बारे में पढ़ने को मिले, उससे मैं सीधे-सीधे आपसे चंद सवाल पूछ रहा हूं। ये सवाल एक पत्रकार के नाते नहीं, बल्कि इस देश का आम नागरिक होने के नाते पूछ रहा हूं। उम्मीद है आप मेरे 16 सवालों के जवाब देंगे।

  1.  क्या ये सही  नहीं है कि अमेरिकी संस्था फोर्ड से आपके गहरे रिश्ते हैं? और हर साल लाखों करोड़ों रुपये का दान मिला। क्या ये सही नहीं है कि मनीष सिसोदियों के साथ आपने जो कबीर संस्था बनाई, उसे फोर्ड से 2007 से लेकर 2010 तक 86,61,742 रुपये मिले?
  2. अमेरिकी महिला शिमरित ली से आपकी संस्था का क्या रिश्ता है? अचानक ऐसा क्या हुआ कि शिमरित ली ने भारत में आकर आपकी संस्था के लिए काम किया और आपकी संस्था को फोर्ड फाउंडेशन से दो लाख अमेरिकी डॉलर का अनुदान मिला? क्या ये सच नहीं है कि अरब देशों में जब आंदोलन खड़ा हो रहा था, उस समय शिमरित ली ने कई कार्यक्रमों की अध्यक्षता की थी? क्या ये सच नहीं है कि शिमरित ली काहिरा और फिलिस्तीन में संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त रहीं और फिर इसके बाद भारत आकर आपकी संस्था से जुड़ीं? क्या ये सच नहीं है कि शिमरित ली ने भारत में आराजकता के आंदोलन का तानाबाना बुना? और आपने भी खुद को डंके की चोट पर अराजक कहा। 
  3.  क्या आपने कभी भी अमेरिकी संस्था फोर्ड के हितों को ध्यान में रखकर काम नहीं किया? आखिर क्यों आपका मोहल्ला सभा और स्वराज का कॉन्सेप्ट शिमरित ली की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें भारत में लोकतंत्र की खामियों को उजागर किया गया है? आखिर क्यों जिन तीन देशों का जिक्र शिमरित ली अपनी रिपोर्ट में करती हैं, उन्हीं तीन देशों अमेरिका, ब्राजील और स्विट्जरलैंड का जिक्र आप भी करते हैं?
  4.  क्या आपको मेग्सेसे अवॉर्ड दिलाने में अमेरिकी संस्था फोर्ड ने मदद नहीं की, ताकि आपका कद भारत समेत पूरी दुनिया में बढ़ा सके? आखिर आपने इस देश के लिए ऐसा क्या किया कि आपको विदेशी संस्था फोर्ड ने मदद की और विदेश में इतने बड़े पुरस्कार से नवाजा गया?
  5.  क्या आप अंबानी का सिर्फ इसलिए विरोध नहीं करते ताकि भारतीय उद्योगपति बर्बाद हो जाएं और उनकी जगह किसी अमेरिकी ईस्ट इंडिया कंपनी का कब्जा हो जाए? क्या फोर्ड के पैसे से आपने इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश नहीं की? क्या आपको पता नहीं है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और फोर्ड में गहरा ताल्लुकात है? अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और फोर्ड फाउंडेशन के दस्तावेजों पर आधारित एक किताब 1999 में आई थी। किताब का नाम है Who paid the piper? The CIA and the cultural cold war… क्या फ्रांसेस स्टोनर सॉन्डर्स की इस किताब में आपने नहीं पढ़ा कि कैसे अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA दुनिया भर के एनजीओ को मदद पहुंचाकर अपने हिसाब से वहां काम करवाती है?
  6. 22 अगस्त 2012 को कबीर संगठन के दफ्तर पर क्यों छापा मारा गया था? क्या ये सच नहीं है कि CIA, फोर्ड और आपकी संस्था के रिश्तों पर दिल्ली हाईकोर्ट में एक मामला चल रहा है?
  7.  फोर्ड फाउंडेशन के अलावा कोका कोला और लेहमेन ब्रदर्स से आपके क्या रिश्ते हैं? क्या ये सच नहीं है कि आपने इन संगठनों से करोड़ों रुपये अपनी संस्था के लिए लिए? डच दूतावास से आपके क्या रिश्ते हैं
  8.  क्या ये सही नहीं है कि दक्षिण एशिया में फोर्ड की प्रमुख एडमिरल रामदास की सबसे बड़ी बेटी कविता एन. रामदास हैं। जबकि एडमिरल रामदास आपके गॉडफादर हैं, जो आपके नामांकन के दौरान भी आपके साथ मौजूद रहे। वहीं एडमिरल रामदास की पत्नी लीला रामदास आप के विशाखा गाइडलाइन पर बनी कमेटी की प्रमुख हैं?
  9.  क्या ये सही नहीं है कि एडमिरल रामदास को भी मेग्सेसे अवॉर्ड मिला है? इसके अलावा एडमिरल रामदास के परिवार, आपकी संस्था और अमेरिकी संस्था फोर्ड के बीच गहरा ताल्लुकात है?
  10. क्या ये सच नहीं है कि सरकारी नौकरी में रहते हुए आपने गैर कानूनी काम किया? न सिर्फ गैर सरकारी संस्था बनाई, बल्कि विदेशों से आपने करोड़ों रुपये हासिल किए? क्या ये आरोप सही नहीं है कि आपने सरकारी नौकरी में करते हुए गैर सरकारी संस्था से 25 हजार रुपये मासिक भत्ता लिया?
  11. क्या ये सही नहीं है कि आपके 20 साल के IRS के करियर में आपका कभी भी दिल्ली से बाहर ट्रांसफर नहीं किया गया? अशोक खेमका जैसे ईमानदार अफसर का 20 साल में 43 बार ट्रांसफर किया गया? आप भी ये मानते हैं कि ईमानदारी से इस देश में खासकर दिल्ली में काम करना मुश्किल है। ऐसे में सवाल ये है कि आपने क्या बेईमानी की या फिर आपने कब कहां अधिकारियों या मंत्रियों को घूस खिलाई कि जिसकी वजह से आपका दिल्ली से बाहर कभी ट्रांसफर नहीं किया गया?
  12. क्या नियम यह नहीं कहता कि किसी भी IRS अधिकारी की पोस्टिंग एक जगह पर 3 साल से ज्यादा नहीं हो सकती? ऐसे में सवाल ये है कि आखिर नैतिकता और ईमानदारी की दुहाई देने वाले आप जैसे शख्स ने इस पर सवाल खड़ा क्यों नहीं किया?
  13. आपकी पत्नी और IRS अधिकारी सुनीता केजरीवाल भी दिल्ली में सालों से कैसे डटी हुई हैं? आखिर कैसे आपके अलावा आपकी पत्नी सुनीता केजरीवाल पर भी केंद्र सरकार मेहरबान है? कहीं ऐसा तो नहीं कि विदेशी संस्था फोर्ड फाउंडेशन आपके लिए और आपकी पत्नी के लिए केंद्र सरकार तक पर दबाव डाल रही हो? क्योंकि आपके और आपकी पत्नी के ट्रांसफर से सीधे सीधे फोर्ड फाउंडेशन का दिल्ली में दबाव डालना आसान नहीं होगा?
  14. क्या ये सही नहीं है कि आपकी केंद्र में सरकार बने तो आप जम्मू और कश्मीर को भारत से अलग करन का रास्ता प्रशस्त करने में साथ नहीं देंगे? क्या ये सही नहीं है कि आपकी केंद्र में सरकार बने तो आप जम्मू और कश्मीर में जनमत सर्वेक्षण करवाएंगे और फिर मौका मिला तो जम्मू कश्मीर को देश से अलग कर देंगे? अगर ये सच नहीं है तो फिर इस बात का क्या जवाब है कि आपने अपनी पार्टी के फाउंडर सदस्य प्रशांत भूषण के खिलाफ देशद्रोही बयान देने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की? आज भी प्रशांत भूषण आपकी पार्टी के अहम सदस्य हैं
  15. क्या ये सही नहीं है कि आपने राष्ट्र विरोधी बयान देने वाले लोगों को अपनी पार्टी में जगह दी? क्या ये सही नहीं है कि माओवादियों का समर्थन करने वालों को आपने समर्थन दिया? क्या ये सही नहीं है कि इस देश में न्यूक्लियर प्लांट का विरोध करने वाले, देश के विकास में स्थापित किए जाने वाले बड़े-बड़े प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले लोगों को आपने न सिर्फ समर्थन दिया बल्कि उन्हें टिकट भी दे रहे हैं?
  16. क्या ये सही नहीं है मुख्यमंत्री बनने के बाद दिल्ली में आपने उप राज्यपाल से दो आलीशान फ्लैट की मांग की, जिसे तत्काल उप राज्यपाल ने पूरी कर दी? क्या ये भी सही नहीं है कि आपने खुद सरकारी बंगला और गाड़ी न लेने की कसम खाई थी? लेकिन आपने इसे लेने के लिए न तो पब्लिक की राय ली, न जनमत सर्वेक्षण करवाया और न ही SMS से पोल करवाया?
लेखक - हरीश चन्द्र बर्णवाल