भारतीय जनता
पार्टी ने जिस दिन से नरेंद्र मोदी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित
किया है, उसी दिन से वो हर विपक्षी पार्टी के निशाने पर हैं। पहले सवाल उनके
गुजरात मॉडल को लेकर उठाए जाते थे। लेकिन बाद में उन पर ये सवाल उठाए जाने लगे कि
अगर वो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं तो फिर गुजरात के मुख्यमंत्री पद से
इस्तीफा क्यों नहीं दे देते। आरोप लगाए जाने लगे कि गुजरात में काम करने की बजाए
वो सिर्फ राष्ट्रीय राजनीति में ही अपना ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं। ऐसे में
गुजरात को देखने वाला कोई नहीं। लेकिन हकीकत इससे परे है।
नरेंद्र मोदी के
विकास मॉडल पर आधारित किताब “मोदी मंत्र” लिखने के दौरान मैंने उनके कई
करीबियों से बातचीत की। उनको समझने की कोशिश की। ये जानने की कोशिश की कि आखिर
नरेंद्र मोदी कैसे इतना सब कुछ मैनेज करते हैं। कैसे वो गुजरात के छोटे से छोटे
काम को देखने के अलावा बीजेपी को मैनेज करते हैं। राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ने
की रणनीति कैसे बना पाते हैं। नरेंद्र मोदी के बारे में समझने से पहले कुछ चीजें
उनके बारे में जान लेना बहुत जरूरी है। मोदी का हर काम उनके द्वारा तय किया होता
है। वो सुनते सबकी हैं, लेकिन करते वही हैं, जो उन्होंने तय किया है और जो उन्हें
ठीक लगता है। मोदी जी ने अगर किसी काम को करने की ठान ली है तो फिर समय, परिश्रम या
फिर पैसे के वो मोहताज नहीं होते। मोदी को अगले दिन क्या काम करना है, इसके बारे
में वो रात में ही तय कर लेते हैं। बाकी राजनीतिज्ञों की तरह उनका काम सिर्फ सचिवों
के भरोसे नहीं चलता, बल्कि वो सक्रिय रूप से अपने निजी सचिवों, अधिकारियों को काम
के बारे में बताते रहते हैं।
नरेंद्र मोदी की
दिनचर्चा शुरू होती है सुबह 5 बजे से। रात में सोने में भले ही उन्हें 1-2 बज
जाएं, लेकिन सुबह 5 बजे हर हाल में वो उठ जाते हैं। इसके बाद नित्यकर्म को निपटाने के बाद वो
इंटरनेट पर न्यूज फड़ते हैं। लगभग सारे नेशनल और इंटरनेशनल न्यूज पेपर पर एक नजर
डाल लेते हैं। इससे उन्हें देश-दुनिया के घटनाक्रम की पूरी जानकारी मिल जाती है।
करीबियों की मानें तो इस दौरान मोदी कोई नोट तैयार नहीं करते। उनके दिमाग में ही
नोटिंग होती रहती है। सुबह करीब 6-6.30 बजे वो एक घंटे के लिए योग करते हैं।
उन्होंने अपने लिए योग के कई तरीके चुन रखे हैं। सुबह 7-7.30 बजे के करीब मोदी
हल्का नाश्ता लेते हैं। इसके बाद इनका डेली रूटिन शुरू हो जाता है। सामान्य तौर पर
बात करें तो इनका दिन गुजरात के सरकारी कामकाज के अलावा हर वक्त एक मिशन के साथ ही
गुजरता है। मसलन अगर गरीब कल्याण मेला शुरू किया तो कई महीने तक इस मिशन को पूरा
करने का अभियान चलाते हैं। इसमें खुद शामिल होते हैं। या फिर लड़कियों की शिक्षा
पर अभियान चला रहे हैं तो जब तक अपने मिशन को पूरा नहीं कर लेते, तब तक ये अभियान चलता
रहता है। पर मौजूदा समय की बात करें तो इनका ज्यादातर दिन का वक्त रैलियों, बैठक
या फिर रणनीति बनाने में निकलता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गुजरात के लिए
मोदी कब वक्त निकालते हैं।
दरअसल नरेंद्र मोदी ने
गुजरात के लिए रात का वक्त तय कर रखा है। इनका दिन का वक्त देश के जिस हिस्से में
बीत जाए, लेकिन रात वो अक्सर गांधीनगर में ही गुजारना पसंद करते हैं। मोदी की साफ
कोशिश है कि गुजरात के कामकाज पर उनकी हर दिन नजर रहे। विकास की योजनाएं हों या
फिर प्रशासनिक काम। मोदी की दिलचस्पी कभी कम नहीं होती। शायद इसीलिए रात 8-9 बजे
के बाद का वक्त उन्होंने गुजरात के अधिकारियों औऱ लोगों के लिए रख छोड़ा है। खास
बात ये है कि नरेंद्र मोदी के सारे अधिकारी रात में एक्टिव रहते हैं, क्योंकि
उन्हें पता है कि मोदी रात में ही अपने सारे काम निपटाते हैं। फाइलों पर हस्ताक्षर
करनी हो या फिर योजनाएं तैयार करनी हों। अपने अधिकारियों की बात सुननी हो या फिर
आम लोगों से जुड़े कोई मसला हल करना हो। सारा काम उनके आवास में देर रात तक चलता
रहता है। खास बात ये है कि हर मसले को वो खुद से देखते हैं और परखते हैं। मोदी की
कोशिश होती है कि रात 11-12 बजे तक वो सो जाएं, लेकिन अगर काम खत्म न हो तो ये काम
रात 12-1 बजे तक चलता रहता है। कभी भी वो काम अधूरा छोड़कर सोने नहीं चले जाते
हैं। रात में वो कितना भी जगे रहें, लेकिन वो सुबह 5 बजे ही उठते हैं। वो कितनी भी
कम नींद लें, लेकिन आपको नरेंद्र मोदी हमेशा फ्रेश नजर आएंगे। कभी भी आप उनके
चेहरे पर थकान या तनाव नहीं देख सकते।
गुजरात के काम में अपने
आप को झोंक देने वाले नरेंद्र मोदी की अपनी टीम पर भी पूरी नजर होती है। नरेंद्र
मोदी को पता है कि अगर उनकी टीम संवेदनशील नहीं होगी तो वो अपने काम को अंजाम तक
नहीं पहुंचा पाएंगे। मसलन जिस भी अधिकारी या कर्मचारी की उनकी टीम में बहाली होती
है, उन्हें बकायदा ये समझाया जाता है कि कैसे देश के विकास के लिए उन्हें दिन-रात
काम में शामिल होना पड़ सकता है। कभी भी उन्हें किसी खास काम के लिए बुलाया जा
सकता है। बकायदा ऐसे अधिकारियों से इसके बारे में पूछा जाता है। यही नहीं ये अधिकारी-कर्मचारी
अपने परिवार के साथ भी विमर्श करते हैं। अगर किसी को 24 घंटे के इस कामकाज से
परेशानी होती है तो उन्हें फिर जबरन टीम में शामिल नहीं किया जाता।
गुजरात सरकार से जुड़े अधिकारियों
की मानें तो नरेंद्र मोदी के मन में जब जो विचार आता है, फिर वो उसके कार्यान्वयन
में जुट जाते हैं। वो इस बात का इंतजार नहीं करते हैं कि उस समय क्या बज रहा है।
करीबियों की मानें तो अधिकारियों के पास अक्सर रात के 1-2 बजे तक भी फोन आते हैं।
जिसमें न सिर्फ मोदी अपने मन में आई किसी खास योजना को बताते हैं, बल्कि उसकी
रणनीति बनाने की बात भी बताते हैं। नरेंद्र मोदी की एक खास बात ये है कि इतनी
व्यस्तता के बावजूद वो कभी आम आदमी को नजरअंदाज नहीं करते। अगर कोई गरीब से गरीब
आदमी भी तकलीफ में है और मुख्यमंत्री कार्यालय में पहुंचा है, तो उनके अधिकारी इस
बात को उन तक जरूर पहुंचाते हैं। मोदी खुद इसका इलाज ढूंढ़ते हैं और मदद की कोशिश
करते हैं। यहां मोदी की एक तारीफ करनी होगी कि वो किसी भी इंसान के मन की बात भी
जान लेते हैं। कई लोगों ने मुझे बातचीत के दौरान बताया कि नरेंद्र मोदी ने चंद
मिनट की बातचीत में ही सच और झूठ का आकलन कर उनके सामने रख दिया, मजबूर लोगों की
मदद की। गलत बोलने वाले को भी कभी दुत्कारा नहीं, बल्कि सही रास्ते पर चलने की
नसीहत दी।
लेखक “मोदी मंत्र” किताब के लेखक और वरिष्ठ
टीवी पत्रकार हैं। इनसे इनके ईमेल hcburnwal@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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